जीएमसी (जम्मू मेडिकल कॉलेज) जम्मू के इमरजेंसी विभाग में चिकित्सा देखभाल से कई मरीज असंतुष्ट हैं और बड़ी संख्या में तीमारदार अपने मरीजों को बाहरी राज्यों और प्रदेश के निजी अस्पतालों में लेकर जा रहे हैं। इमरजेंसी में जूनियर डॉक्टरों के सहारे रहते हुए मरीजों को उचित चिकित्सा नहीं मिल रही है जिससे उनकी स्थिति में देरी हो रही है। जूनियर डॉक्टर हर मरीज को ढेर सारे टेस्ट लिख रहे हैं, जोकि वरिष्ठ डॉक्टरों के राउंड के समय होते हुए नहीं होते।
जुलाई में इमरजेंसी में लामा (लेफ्ट अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस) के 93 मामले और अबस्काॅडिंग (अस्पताल के बाहर ले जाने) के 126 मामले हुए हैं। लामा मामलों में मरीज की रजामंदी पर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाता है, जबकि अबस्काॅडिंग में मरीज या तीमारदार अस्पताल की फाइल लेकर खुद ही चले जाते हैं। इससे पुलिस को सूचित किया जाता है, लेकिन इन मामलों में कार्रवाई बड़े हद तक नहीं होती है।
इमरजेंसी में वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टरों की अनुपस्थिति का कारण यह है कि अस्पताल के प्रशासन द्वारा उनके राउंड द क्लॉक कोई रोस्टर तैयार नहीं किया जाता है। वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टरों के रोजगार कार्यक्रम में इमरजेंसी के दौरान काम करने की ज़रूरत होती है और यह उन्हें इमरजेंसी में भी रहने के लिए प्रोत्साहित करता है। ऐसे में इस प्रकार के रोस्टर का निर्माण करने से इमरजेंसी में वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टरों की हाजिरी सुनिश्चित हो सकती है और इमरजेंसी का स्तर मजबूत हो सकता है।
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