राजोरी जिले में नियंत्रण रेखा: (एलओसी) के पास एक अग्रिम गांव में मोहम्मद यूसुफ कोहली छह सदस्यों के परिवार के लिए नया घर बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह एक सपना है, जो भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम के कारण पूरा हो रहा है। सीमा पार से गोलाबारी बंद होने पर सीमावर्ती ग्रामीण अपनी भूमि की देखभाल और मवेशियों को चराने जैसी सामान्य गतिविधियां शांति से कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि वे समझौता बना रहने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, ताकि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो और विकास हो सके। 25 फरवरी 2021 को भारत और पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में सीमाओं पर नए सिरे से युद्धविराम लागू करने की घोषणा की थी, जो नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत रही। भारत और पाकिस्तान ने शुरू में 2003 में एक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन पाकिस्तान ने 2020 में 5 हजार से अधिक बार इसका उल्लंघन किया। स्थानीय निवासी इबरार अहमद ने कहा कि चार साल से उनका परिवार नया घर बनाने के बारे में सोच रहा था, लेकिन ऐसा कर नहीं पाए। गांव में संघर्षविराम का उल्लंघन आम बात थी। उन्होंने कहा कि गोलाबारी के कारण क्षतिग्रस्त हुए घरों की मरम्मत करना भी दूर का सपना था, क्योंकि घर से बाहर निकलना मौत के जाल में फंसने जैसा था। गांव में कोई राजमिस्त्री या मजदूर काम के लिए नहीं आता था। लेकिन, अब चीजें बदल गई हैं, और वे सामान्य दिनचर्या में व्यस्त रह कर शांत माहौल में जीवन जी रहे हैं। नैका गांव राजोरी की मंजाकोट तहसील के तारकुंडी सेक्टर में सीमा का आखिरी गांव है। फरवरी 2021 से पहले यह गांव तीव्र गोलाबारी का गवाह था। 2017 में गांव में पाकिस्तान के एक मोर्टार ने घरों पर हमला किया था, जिसमें गांव की दो महिलाओं की मौत हो गई थी।